यन्त्र साधना की आवश्यक बातें

यन्त्र साधना की आवश्यक बातें

यन्त्रों के द्वारा स्वयं ही स्वयं का उपचार करें।

  • यन्त्र शीघ्र प्रभाव दिखाते हैं।
  • कलियुग में यन्त्रों को विशेष प्रभावी कहा गया है।
  • यन्त्र धारक के शरीर पर आकाशीय ग्रहों की भाँति कार्य करता है।
  • नित्य यन्त्र लिखने से भूत प्रेतादि जैसी समस्यायें पैदा नही होती, यदि हुई हों तो शीघ्र ही समाप्त हो जाती हैं।
  • यन्त्रों में जो शक्ति है वह तो प्रबल है ही। इसमें और भी अधिक शक्ति का संचार यन्त्र का साधक अपनी आत्मा के बल से प्रस्तुत करता है।
  • यन्त्रों से लाभ उठाने के लिए यन्त्रों पर विश्वास करें।
  • वशीकरण, शान्ति तथा पौष्टिक यन्त्र लिखते समय प्रसन्न मुद्रा में रहें तथा मुख में मीठा पान रख लें। मारण, स्तम्भन तथा उच्चाटन आदि के यत्र लिखते समय काले वस्त्र पहनें तथा मुख में विरसता पैदा करने वाली कोई चीज रख लें।
  • यन्त्र, मन्त्र तथा तन्त्र एक दूसरे के पूरक हैं।
  • रेखांकन को यन्त्र कहते हैं।
  • शब्दों के समूह को मन्त्र कहते हैं।
  • वनस्पति की गुह्य शक्ति को तन्त्र कहते हैं।
  • यन्त्र, मन्त्र तथा तन्त्र का एक साथ प्रयोग करने वाले को तान्त्रिक कहते हैं।
  • यन्त्र को लिखना तथा उससे लाभ उठाना अत्यन्त सरल है।
  • आज भी कई विशेष धार्मिक तीर्थ स्थलों पर, मुख्य द्वार पर तथा मूर्ति के पास पत्थरों पर खुदे यन्त्र दृष्टिगोचर होते हैं।
  • बहुत से मन्दिरों के बुर्ज तथा भीतरी हिस्से यन्त्र की शैली के अनुसार बनाये गये मिलते हैं।
  • यन्त्र साधन तांत्रिक विद्या का सबसे सरल तथा सुलभ साधन है।
  • यन्त्र कभी निराश नहीं करते।
  • यन्त्र आत्मबल बढ़ाते हैं।

यन्त्र साधना से पहले यह सब ध्यान रखें!

  • यन्त्र विद्या यद्यपि प्रतिमा पूजा काल के युग से भी बहुत प्राचीन है। इस पर भी एक आकर्षण का केन्द्र है। मन्त्र शास्त्र की अनेक कठिनाइयों को देखते हुए ही सम्भवत: यन्त्रों को सहर्ष स्वीकार किया गया था। जबकि यन्त्र निर्माण भी कोई आसान पद्धति नहीं है। रेखात्मक, वर्णात्मक, अंकात्मक अथवा समन्वयात्मक पद्धति से बनाये गये धातुमय, वर्णमय अथवा लिखित यन्त्र में, उसके देवता की स्थापना की जाती है और इन यन्त्रों को पूजन यन्त्र या धारण यन्त्र कहा जाता है।
  • देश, काल और पात्र का विचार करके जो कार्य किया जाता है वह पूर्णत: सफल होता है। अत: प्रयोग कर्ता को साधना मार्ग में प्रवेश करने के पश्चात् अनेक बातों का सदैव स्मरण रखना चाहिए। जरा सी भूल से प्रयोग विपरीत फलदायक होकर हानि देने लगता है या स्वयं ही निष्फल, प्रभाव हीन रहता है।
  • यन्त्र अपने आप में एक रहस्य है । इस रहस्य को अनुभव करके ही जाना जा सकता है। यन्त्र की पहली शर्त ही गोपनीयता है। यन्त्र शब्द ‘यं’ धातु से निष्पन्न होता है। इसका अर्थ सयंमित करना और केन्द्रित करना ही होता है। अभीष्ट सिद्धि के लिए अधिष्ठातृ देवता की शक्ति पर ध्यान लगाने में यन्त्र विशेष यन्त्र विद्या एक गहन विद्या है और पलों में ही यह लाभ देने वाली है। देव, ब्राह्मण, औषधि, मन्त्र, यन्त्र आदि भावना के अनुसार ही फल देते हैं। अत: यदि यन्त्र को सामान्य मानकर लिखा जायेगा तो निश्चय ही उसका फल भी सामान्य ही होगा। यह सोचना केवल मूर्खता ही है कि यन्त्र तो छोटा सा है, ये फल क्या करेगा? क्या परमाणु बहुत बड़ा होता है ? ध्यान से सोचें तो एक अति सूक्ष्म अणु ही तो है जिससे सारा संसार भयप्रद है। यन्त्र को सिद्ध करने के लिए प्रयोजन के अनुसार दिन, तिथि, नक्षत्र, मास आदि समय निर्धारित किये गये हैं। इसके लिखने के लिए स्याही, कलम तथा आधार पत्र भी प्रयोजन के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं।
  • यन्त्र और उसकी शक्ति पर सदैव श्रद्धा एवं विश्वास रखें क्योंकि श्रद्धा और विश्वास से ही ईश्वर को प्राप्त किया जाता है। सभी कार्य शान्ति एवं सन्तोष से ही फलदायक होते हैं। आतुरता या शीघ्रता से किये जाने वाले कार्यों में विकार का आ जाना स्वाभाविक ही है। चंचल चित्त से होने वाली क्रियाओं में विधि के लोप हो जाने का भय बना रहता है और जब विधि लोप हो जाये तो सिद्धि कहाँ?
  • जिस भाँति मन्त्र को देवता की आत्मा माना जाता है, उसी भाँति यन्त्र देवता का निवास स्थल माना जाता है। अत: जिस भाँति की सावधानियाँ मन्त्र के प्रयोग काल में स्मरण रखनी होती हैं वहीं सावधानियाँ यन्त्र के प्रयोग काल में आवश्यक हैं। इन सावधानियों का वर्णन नीचे किया जायेगा। चूँकि यन्त्र देवता का स्थल अर्थात् निवास स्थान माने गये हैं। अत: इसके निर्माण में पूर्ण श्रद्धा तथा विश्वास का होना नितांत आवश्यक है। यन्त्रों की रचना करते समय रेखा, चक्र, त्रिकोण आदि का शुद्ध भाव से अवलम्बन करके ही प्रयोग का प्रारम्भ करना चाहिए। प्रयोग में देखा गया है कि यन्त्र निर्माण करते समय बनाई जाने वाली आकृत्ति के कारण साधक के अन्त:करण में अनेक तरह के तूफान आन्दोलित तथा स्पन्दित होते हैं परन्तु इनकी चिन्ता नहीं करनी चाहिए।

यन्त्रों का प्रयोग पूर्ण लग्न, श्रद्धा एवं विश्वास से करना चाहिए। बिना विश्वास एवं श्रद्धा के यन्त्र से लाभ प्राप्त नहीं होता । यन्त्र में प्रत्येक रेखा की एक माप होती है तथा इन रेखाओं द्वारा निर्मित कोष्ठों आदि का आयतन समान ही होना चाहिए। यन्त्र को रेखांकित करने के बाद यन्त्र के मध्य भाग में संख्या बीज, वर्ण बीज तथा बिन्दु बीज आदि को लिखा जाना चाहिए।
यत्रों में दिव्य तथा आलौकिक शक्तियों का निवास अवश्य ही होता है। तभी तो इसके पूजन करने से, दर्शन से तथा धारण करने से लाभादि हो जाते हैं। यन्त्रादि के प्रयोग करने से जो सावधानियाँ स्मरण रखनी चाहिए, उन्हें लिखा जा रहा है-गुरु पुष्य, रवि पुष्य, ग्रहण, दीपावली तथा होली की रात्रि को शुभ माना जाता है, किया जाने वाला प्रत्येक प्रयोग पूर्णत: प्रभावी होता है। इस समय दिशाशूल, चन्द्र आदि का विचार नहीं किया जाता । अत: साधकों को चाहिए कि उपर्युक्त समय में ही प्रयोग का शुभारम्भ करें।
यत्रादि के प्रयोग में छः कर्म होते हैं जिन्हें कि शान्ति कर्म, वशीकरण कर्म, स्तम्भन कर्म, विद्वेषण कर्म, उच्चाटन कर्म तथा मारण कर्म कहा जाता है। इन कर्मों की देवियाँ भी मानी गई हैं जो कि निम्न भाँति हैं

शान्ति कर्म-इस कर्म की देवी रति को माना गया है। भगवती रति, कामदेव की पत्नी हैं।
वशीकरण कर्म-इस कर्म की देवी भगवती सरस्वती को माना गया है।
स्तम्भन कर्म-स्तम्भन कार्य में किये जाने वाले कर्म की देवी लक्ष्मी जी हैं।
विद्वेषण कर्म-इस कर्म के लिए भगवती ज्येष्ठा को माना जाता है।
उच्चाटन कर्म-इस कार्य के प्रारम्भ में भगवती दुर्गा को पूजने को कहा गया है।
मारण कर्म- इस कर्म की देवी महाकाली जी को माना जाता है।

अत: साधकों को चाहिए कि प्रयोग के प्रारम्भ काल में ही कर्म से सम्बन्धित देवि का पूजन करके अपने मत को प्रकट कर दें। अच्छा तो यह रहता है कि पूजन के पहले ही हाथ में जल लेकर विनियोग कर लिया जाये।
कर्म की परिभाषा ऊपर प्रत्येक कर्म की देवी के विषय में समझाया गया है। उन कर्मों की अपनी ही एक परिभाषा भी होती है जो कि निम्नलिखित शान्ति कर्म-जिस प्रयोग के करने से रोगों का, किये कराये का, ग्रहादिकों का निवारण होता है उसे ही शान्ति कर्म कहा जाता है।

वशीकरण कर्म-जिस प्रयोग को करने से दूसरे व्यक्ति जी हजूरी करें ऐसे कर्म को वशीकरण कर्म कहा जाता है।
स्तम्भन कर्म-किसी चल रही क्रिया को रोक देना ही स्तम्भन कर्म कहलाता है।
विद्वेषण कर्म-दो गहरे मित्रों के बीच शत्रुता करा देने वाले कर्म को ही विद्वेषण कर्म कहा जाता है।
उच्चाटन कर्म-जिस क्रिया के करने से अच्छा भला व्यक्ति भी स्थान छोड़ कर दूर जा बसे, इसे ही उच्चाटन कर्म कहते हैं।
मारण कर्म-किसी के भी प्राण ले लेने की क्रिया को मारण कर्म कहा जाता है। कर्म तो छ: ही माने गये हैं,

Powerful Maa Kali Raksha Mantra

Powerful Maa Kali Raksha Mantra

This is such a mantra that this mantra is prevalent till Madari and Road Chhapi Bazigro, but no one has a law for this and today with this mantra all are giving legislation, but you should do this only with your Guru Agya without the instructions of the Guru no mantra should do this legislation, it is good for you and for your own

Very Powerful Maa Kali Raksha Mantra

ॐ काली महाकाली इन्द्र की बेटी बह्मा की साली,
उड़ बैठी पीपल की डाली दोनों हाथ बजावै ताली,
जहाँ जाय वज्र की ताली वहाँ ना आवे दुश्मन हाली,
दुहाई कामरू कामाक्षा नैना योगिनी की ईश्वर महादेव,
गौरा पार्वती की दुहाई वीर मसान की,

This mantra has to be chanted for eleven thousand times on the day of Ashwin Dussehra (Dashami).
Time kept on invoking Guggul in the fire of condo and on the day that mantra has to be proved
Fasting should be fruit or milk, and in the chanting time, the seeker should complete his posture or
Should be descending, make a square machine made of flour and draw a line from vermilion in the middle.Take and install the urn in the middle and fill it with barley till the lid is placed on it.
Put a lamp in it, and with chanting the mantra, the ghee goes on giving smoke to Google and camphor like this Mantra effectively provides protection to the seeker and then uses it elsewhere If you want to, then read the mantra three times instead of clapping and chanting the mantra around you, the security circle Make it gives you protection.

बहुत पावरफुल माँ काली रक्षा मंत्र

ये एक मंत्र ऐसा है जो मदारी ओर सड़कछाप बाजीगरो तक ये मंत्र प्रचलित है पर इसका विधि विधान किसी के पास नही है ओर आज आपको इस मंत्र के साथ पुरा विधि विधान दे रहे है पर आपको ये अपने गुरु आग्या लेकर ही करे बिना गुरु के दिशा निर्देश के कोई भी मंत्र विधान ना करे यही अच्छा है आपके लिए ओर आपके अपने के लिये

|| मंत्र ||

ॐ काली महाकाली इन्द्र की बेटी बह्मा की साली,
उड़ बैठी पीपल की डाली दोनों हाथ बजावै ताली,
जहाँ जाय वज्र की ताली वहाँ ना आवे दुश्मन हाली,
दुहाई कामरू कामाक्षा नैना योगिनी की ईश्वर महादेव,
गौरा पार्वती की दुहाई वीर मसान की,

विधि

इस मंत्र को आश्विन दशहरे (दशमी )के दिन ग्यारह हजार बार जप हवन करना है जप क्रिया करते समय कंडो की अग्नि मे गुग्गुल की आहति देते रहे ओर जिस दिन मंत्र सिद्ध करना है उस दिन उपवास रखे फल फूट या दुध का सेवन करे ओर जपकाल मे साधक अपने आसन को पुर्वमुखी या उतरमुखी ही होना चाहिए एक चौकोर यंत्र आटे से बना ले ओर उसके बीच मे सिन्दूर से लाइन खीचे ले ओर उसके बीच मे कलश स्थापित करे ओर उस पर ढक्कन लगने तक जौ से भर दिजिये ओर उसमे दीपक लगा दिजिये ओर मंत्र जप के साथ घी गूगल ओर कपूर की धुनी देते जाये इस तरह मंत्र प्रभावी होकर पूणेतया साधक को सुरक्षा प्रदान करता है फिर किसी जगह इसको इस्तेमाल करना है तो मंत्र पढते हुये तीन बार ताली बजाये ओर अपने चार ओर मंत्र को जपते हुये सुरक्षा घेरा बना लिजिये इससे आपको सुरक्षा प्रदान होती है

Money Spells How to earn permanent Money

Money Spells How to earn permanent Money

Everyone knows that debt is like a curse in life, that spoiled the happy life of any one. IF Human does any effort but it didn’t remove from life at any cost and make the one totally finished. Debtor pay the interest for long time but Amount remain same. So to Earn the fix money or make the money permanent for you I am going to explain some powerful and Infallible spells ritual for Money spells. This ritual will be more effective on the occasion of Navratri.

On the Day of Navratri – Do the Sankalp on Saptami and till Navami. For this ritual you required ‘Uren Mukti Yantra or ऋण मुक्ति यंत्र’ and ‘Uren Mochan Laxmi Tantra Fal or ऋण मोचन लक्ष्मी तंत्र फल’. Sadhak Sit of fresh blanket in morning before sunrise after taking bath and fresh clothes and face should be towards the east. Now in front of you put red color cloth and put the yantra there on that. Write your name on yantra with the help of Kumkum, Now put the Tantra Fal on that. No do the worship with lamp and dhoop. Now in that fresh environment chant the following Money Spells for 1.50 hours

Money Spells will be as follows:

“Om Namho Hrim Shreem Krim Shreem Klim Klim Shrim Laxmi Mam Grhe Dhane Dahi Chinta Door Karoti Swaha”

मंत्र:

॥ ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥

Now on the Next Day, Leave the yantra in any river or canal, and offer the uren mochan fal to any beggar with some another donation or Fruits. So with this Fruit or Fal, poverty will remove from the that person house and Poverty will never come again in future.

IF Sadhak didn’t found any beggar then go to any temple and provide that fal or fruit to in temple with Sadhak Hand. Now later on come to your ritual place and do the Laxmi arti. That will definitely remove the poverty permanently.

IF anybody have any doubt or any un clear thing regarding this Money Spells then please let me know, I am always you for your all kind of support. But there is not any doubt on the success of this Money spells ritual.

कर्ज का भार व्यक्ति के जीवन में अभिशाप की तरह होता है, जो व्यक्ति की हंसती हुई जिन्दगी में एक विष की भांति चुभ जाता है, जो निकाले नहीं निकलता और व्यक्ति को त्रस्त कर देता है। ऋण का ब्याज अदा करते-करते लम्बी अवधि हो जाती है, पर मूल राशी वैसी की वैसे बनी रहती है। नवरात्रि में ऋण मोचन लक्ष्मी की साधना करने से व्यक्ति कितना भी अधिक ऋणभार युक्त क्यों न हो, उसकी ऋण मुक्त होने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है।
नवरात्री में अथवा इस काल में संकल्प लेकर किसी भी सप्तमी से नवमी के बीच साधना कर सकता है। इस प्रयोग के लिए प्राणप्रतिष्ठायुक्त ‘ऋण मुक्ति यंत्र’ और ‘ऋण मोचन लक्ष्मी तंत्र फल’ की आवश्यकता होती है। साधना वाले दिन साधक प्रातः काल स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर, पूर्व दिशा की ओर मुख कर अपने पवित्र आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने एक बाजोट पर लाल रंग का कपडा बिछाकर उस पर किसी पात्र में यंत्र स्थापित कर दें, यंत्र के ऊपर कुंकुम से अपना नाम अंकित कर दें, उस पर तंत्र फल को रख दें। धुप-दीप से संक्षिप्त पूजन करें। वातावरण शुद्ध एवं पवित्र हो। फिर निम्न मंत्र का डेढ़ घंटे जप करें –

मंत्र

॥ ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥

अगले दिन यंत्र को जल मे विसर्जीत कर दें तथा, ऋण मोचन फल को प्रयोगकर्ता स्वयं अपने हाथों से किसी गरीब या भिखारी को अतिरिक्त दान-दक्षिणा, फल-फूल आदि के साथ दें। कहा जाता है, की ऐसा करने से उस तंत्र फल के साथ ही व्यक्ति की ऋण बाधा तथा दरिद्रता भी दान में चली जाती है और उसके घर में भविष्य में फिर किसी प्रकार की दरिद्रता का वास नहीं रहता।
यदि दान लेने वाला नहीं मिले, तो प्रयोगकर्ता स्वयं किसी मन्दिर में जाकर दक्षिणा के साथ उस तंत्र फल को भेट चढ़ा दे

शरीर रक्षा के मन्त्र

शरीर रक्षा के मन्त्र

If the body is chanting the Raksha Mantra before performing the Mantra system, then no one can cause any harm.

शरीर रक्षा के मन्त्र

|| Mantra ||

om sees raakhe saiyaan, shravan sirajan haar. nain raakhai narahari, naasa aparag paar. hrdai hari raksha kare, naabhi tribhuvan saar.
mukh rakha maadhave, kanth rakha karataar.
gir rakha govind kee, pagatalee param udaar.
jangha rakha jagadeesh, kare pindee paalan haar.
dooo bhaee jvar suna mahaaveer naam.naaraaj naamook ke ghar duaar phiraay.
din raati kati mare mahaadev ke thaam.
phoor chhudase chhattees roop muhoortamon dharaay.
saban ko bhang ghotan shiv ne bujhaee.
jvaala jvarapaala jvarakaala jvaravisha kee. doh jvar ubha jvar bhooma jvar jhoomaki. ghoda jvar bhoota tijaaree o chauthaee.
to guru gorakhanaath ke laaga too khaay.
yah jvar jvar sura too kaun aur takaav.
sheeghr amuk ang chhod tum jaav.
yadi angan mein too bhooli bhatakaay.
aadesh kaamaroo kaamaaksha maee.
aadesh haadi daasee chandee kee dohaee.”

Turn the patient facing north and chant the patient by chanting the mantra 31 times. Every type of fever is retired.

शरीर रक्षा के मन्त्र

मन्त्र तन्त्र साधना को करने से पूर्व अगर शरीर रक्षा मन्त्र का जाप कर लिया जाये तो फिर कोई किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचा सकता है।

मंत्र

“ॐ सीस राखे साइयां, श्रवण सिरजन हार।
नैन राखै नरहरि, नासा अपरग पार।
मुख रखा माधवे, कण्ठ रखा करतार।
हृदै हरि रक्षा करे, नाभि त्रिभुवन सार।
जंघा रखा जगदीश, करे पिण्डी पालन हार।
गिर रखा गोविन्द की, पगतली परम उदार।
दोऊ भाई ज्वर सुना महावीर नाम।
दिन राति कटि मरे महादेव के ठाम।
फूर छुदसे छत्तीस रूप मुहूर्तमों धराय।
नाराज नामूक के घर दुआर फिराय।
ज्वाला ज्वरपाला ज्वरकाला ज्वरविशा की।
दोह ज्वर उभा ज्वर भूमा ज्वर झूमकि।
घोड़ा ज्वर भूता तिजारी ओ चौथाई।
सबन को भंग घोटन शिव ने बुझाई।
यह ज्वर ज्वर सुरा तू कौन और तकाव।
शीघ्र अमुक अंग छोड़ तुम जाव।
यदि अंगन में तू भूलि भटकाय।
तो गुरु गोरखनाथ के लागा तू खाय।
आदेश कामरू कामाक्षा माई।
आदेश हाड़ि दासी चंडी की दोहाई।”

रोगी का मुख उत्तर की ओर करके 31 बार मन्त्र का उच्चारण करके रोगी को झाड़ें। हर प्रकार के ज्वर की निवृत्ति होती है।

नजर दोष से बचने के उपाय टोटके

नजर दोष से बचने के उपाय टोटके

नजर एक ऐसी बला है जो अगर किसी को लग जाए तो उसका नाश ही समझो | नजर किसी को भी लग सकती है चाहे वह व्यक्ति हो,घर हो या कोई काम धंधा हो | लेकिन, घबराने की कोई बात नहीं है | यहां पर हम आपके लिए लेकर आए हैं नजर दोष से बचने के उपाय |

नजर दोष से बचने के उपाय टोटके

लेकिन, नजर दोष से बचने के उपाय जानने के पहले हम यह जान ले कि नजर लगने के लक्षण कैसे होते हैं ? इसके लक्षण कई हैं | जैसै-व्यक्ति की अचानक से तबीयत खराब हो जाना, उल्टी आना,चक्कर आना, अचानक से पेट में दर्द, बच्चों का बिना कारण अचानक से रोना, घर में बिना कारण आपसी कलह, नई मां का दूध सूख जाना, जानवरों की अकाल मृत्यु ,बैठे-बैठे अचानक से डर लगना,व्यक्ति का चिड़चिड़ा होना, काम धंधे में अचानक से घाटा लगना, वाहन का अचानक से खराब होना, एक्सीडेंट होना आदि |

अब हम आपको नजर दोष से बचने के उपाय बता रहे हैं | ये उपाय हैं —

  • सात मिर्ची (हरि) और तीन नींबू ले | आप इसे एक काले रंग के डोरी/धागा में पो लें | अब इसे अपने कार्य स्थान/ घर/ दुकान को नजर से बचाने के लिए उसके मुख्य द्वार पर लटका दें | यह जब सूख जाए तो तुरंत पलट दें | इस क्रिया को रख हर मंगलवार या शनिवार को दोहराएं |
  • लाल सूखी हुई मिर्च, अजवाइन और पीली सरसों लों | इन्हें मिला लें और किसी पात्र में डालकर जलाएं | इससे जो धुँआ निकलेगा उसको रोगी को हाथों से दे | यह नजर उतारने का एक अन्यतम तरीका है |
  • बुरी नजर दोष के टोटके में आप भैरव मंदिर के पंडित जी से एक काला रंग का अभिमंत्रित किया धागा ले ले और इसे रोगी को पहनावे या धारण करवा दें |
  • बिजनेस/व्यापार में लगनेवाली नजर की परेशानी को हटाने के लिए एक हरे रंग का नींबू ले | इसे दुकान या कार्यस्थल की चारों तरफ की दीवारों से छुड़ाएं | अब इस निंबू के बराबर बराबर चार टुकड़े कर लें | इसके बाद इन टुकड़ों को एक-एक करके चारों तरफ फेंक दे | यह क्रिया प्रति शनिवार को करे |
  • अपने घर को बुरी नजर के प्रभाव से बचाने के लिए गौमूत्र या गंगाजल का छिड़काव किया जा सकता है |
  • घर से नजर दोष दूर करने के लिए लोबान ले | इसका धुँआ करें प्रतिदिन |
  • काम धंधे से नजर बाधा को दूर करने के लिए आप चार कील भी ले सकती हैं | इसे अपने कार्यस्थल या घर के अंदर चारों दीवारों में ठोक दे |
  • वाहन को बुरी नजर से बचाने के लिए आठ छुहारे बांधे एक लाल रंग की कपड़े की पोटली/ थैली में | अब इसे वाहन के अंदर रखें | बुरी नजर का असर गायब हो जाएगा |
  • एक पीले रंग की कौड़ी लें | आप इसे एक काले रंग के धागे से बांध कर अपने निवास स्थान के मुख्य द्वार के ऊपर बीचों-बीच लटका दें | नए घर को बुरी नजर दोष के उपाय में यह एक कारागार उपाय है |
  • बीमार व्यक्ति व्यक्ति को नजर लगने के बचाव के लिए नमक और राई तथा मिर्च का मिश्रण भी अत्यंत कारगर सिद्ध हुआ है | इस मिश्रण को बीमार व्यक्ति के माथे के ऊपर से सात बार वारे | अब इसे आग में जला दें |
  • नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति के ऊपर अगर एक लोटा पानी भरकर सात बार वार जाए तो भी नजर दोष से मुक्ति मिल सकती है | ध्यान रहे क्रिया होने के बाद इस पानी को जोर से कहीं दूर पटक दें और बर्तन को राख से साफ कर लें | लेकिन हां, पानी पटकने के छींटे किसी को भी नहीं लगने चाहिए यह विशेष ध्यान रखने योग्य बात है |
  • नजर लगने के बचाव में एक अन्य उपाय है कच्चे दूध का प्रयोग | शनिवार को नजर से ग्रसित व्यक्ति के ऊपर कच्चे दूध से उतारा करें यानी सात वार दूध को वारे | अब किसी भी कुत्ते को यह उतारा किया हुआ दूध पिला दें |
  • शनिवार/मंगलवार के दिन बजरंगबली के मंदिर जाएं | वहाँ पर उनके कंधे पर से सिंदूर ले तथा इससे अपने मस्तिष्क पर तिलक लगाए |

इसके अलावा नजर उतारने के कुछ मंत्र भी आपके लिए पेश हैं |

ये मंत्र हैं–

”वन गुरु इद्धास करू | सात समुद्र सूखे जाती |
चाक बांधू, चकोली बांधू, दृष्ट बांधू |
‘देवदत्त’ नाम बांधू तर बाल बिरामाची आनिंगा |”

सबसे पहले किसी भी चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण के वक्त इस मंत्र को सिद्ध करे | अब जब आपको जरूरत पड़े तो किसी पीपल के पेड़ से उसका एक पत्ता तोड़ ले | इस पत्ते के ऊपर जिस व्यक्ति की नजर उतारनी है उसका नाम देवदत्त के जगह पर मंत्र का जाप करते हुए पूरा मंत्र लिखें | फिर 11 बार ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करते हुए इस यंत्र की धूप दीप से पूजा करें | इसके बाद इसे काले रंग के डोरे में बांधकर रोगी को शुक्रवार या मंगलवार के दिन गले में पहना दे | किसी की भी नजर का प्रभाव इस यंत्र को पहनने के बाद नहीं होगा |

एक अन्य मंत्र है–

”ॐ नमो आदेश गुरु का | गिरह-बाज नटनी का जाया,
चलती बेर कबूतर खाया, पीवे दारु, खाए जो मांस,
रोग-दोष को लावे फाँस | कहाँ कहाँ से लावेगा ?
गुदगुद में सुद्रावेगा , बोटी-बोटी में से लावेगा,
चाम-चाम में से लावेगा, नौ नाड़ी बहत्तर कोठा में से लावेगा,
मार-मार बंदी कर लावेगा | न लावेगा तो अपनी माता की सेज पर पग रखेगा |
मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा | “

किसी पर नजर उतारने के लिए ऊपर दिए गए मंत्र को पढ़ते हुए अगर मोर पंख के द्वारा झाड़ा जाए तो नजर का दोष दूर होने में सहायता मिलती है |

“आकाश बाँधो, पाताल बाँधो, बांधो अपनी काया |
तीन डेग की पृथ्वी बांधो, गुरु जी की दाया |
जितना गुनिया गुन भेजें, उतना गुनिया गुन बांधे |
टोना टोनमत जादू |
दोहाई कौरु कमच्छा के,नोनाऊ चमाइन की |
दोहाई ईश्वर गौरी- पार्वती की, ॐ ह्वीं फट स्वाहा |”

चुटकी भर नमक मुट्ठी में लेकर उपरोक्त मंत्र को गुनगुनाते हुए रोगी के ऊपर से सात बार वारे | अब नमक को नाले में डालकर उसके ऊपर से पानी डाल कर अच्छे से बहा दें व अच्छी तरह से हाथ धो लें |

शाबर मन्त्रों के मुख्य प्रकार

शाबर मन्त्रों के मुख्य प्रकार

शाबर मन्त्रों के मुख्य पांच प्रकार है –

  • प्रबल साबर – इस प्रकार के साबर मन्त्र कार्य सिद्धि के लिए प्रयोग होते है , इन में प्रत्यक्षीकरण नहीं होता ! केवल जिस मंशा से जप किया जाता है वह इच्छा पूर्ण हो जाती है ! इन्हें कार्य सिद्धि मंत्र कहना गलत ना होगा ! यह मंत्र सभी प्रकार के कर्मों को करने में सक्षम है ! अतः इस प्रकार के मन्त्रों में व्यक्ति देवता से कार्यसिद्धि के लिए प्रार्थना करता है , साधक एक याचक के रूप में देवता से याचना करता है
  • बर्भर साबर – इस प्रकार के साबर मन्त्र भी सभी प्रकार के कार्यों को करने में सक्षम है पर यह प्रबल साबर मन्त्रों से अधिक तीव्र माने जाते है ! बर्भर साबर मन्त्रों में साधक देवता से याचना नहीं करता अपितु देवता से सौदा करता है ! इस प्रकार के मन्त्रों में देवता को गाली, श्राप, दुहाई और धमकी आदि देकर काम करवाया जाता है ! देवता को भेंट दी जाती है और कहा जाता है कि मेरा अमुक कार्य होने पर मैं आपको इसी प्रकार भेंट दूंगा ! यह मंत्र बहुत ज्यादा उग्र होते है !
  • बराटी साबर – इस प्रकार के साबर मन्त्रों में देवता को भेंट आदि ना देकर उनसे बलपूर्वक काम करवाया जाता है ! यह मंत्र स्वयं सिद्ध होते है पर गुरुमुखी होने पर ही अपना पूर्ण प्रभाव दिखाते है ! इस प्रकार के मंत्रों में साधक याचक नहीं होता और ना ही सौदा करता है ! वह देवता को आदेश देता है कि मेरा अमुक कार्य तुरंत करो ! यह मन्त्र मुख्य रूप से योगी कानिफनाथ जी के कापालिक मत में अधिक प्रचलित है ! कुछ प्रयोगों में योगी अपने जुते पर मंत्र पढ़कर उस जुते को जोर जोर से नीचे मारते है तो देवता को चोट लगती है और मजबूर होकर देवता कार्य करता है !
  • अढैया साबर – इस प्रकार के साबर मंत्र बड़े ही प्रबल माने जाते है और इन मन्त्रों के प्रभाव से प्रत्यक्षीकरण बहुत जल्दी होता है ! प्रत्यक्षीकरण इन मन्त्रों की मुख्य विशेषता है और यह मंत्र लगभग ढ़ाई पंक्तियों के ही होते है ! अधिकतर अढैया मन्त्रों में दुहाई और धमकी का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता पर फिर भी यह पूर्ण प्रभावी होते है !
  • डार साबर – डार साबर मन्त्र एक साथ अनेक देवताओं का दर्शन करवाने में सक्षम है जिस प्रकार “बारह भाई मसान” साधना में बारह के बारह मसान देव एक साथ दर्शन दे जाते है ! अनेक प्रकार के देवी देवता इस मंत्र के प्रभाव से दर्शन दे जाते है जैसे “चार वीर साधना” इस मार्ग से की जाती है और चारों वीर एक साथ प्रकट हो जाते है ! इन मन्त्रों की जितनी प्रशंसा की जाए उतना ही कम है , यह दिव्य सिद्धियों को देने वाले और हमारे इष्ट देवी देवताओं का दर्शन करवाने में पूर्ण रूप से सक्षम है ! गुरु अपने कुछ विशेष शिष्यों को ही इस प्रकार के मन्त्रों का ज्ञान देते है !

साबर मंत्रो के लुप्त होने के मुख्य कारण –

  • यदि सभा में साबर मन्त्र बोल दिए जाये तो साबर मन्त्र अपना प्रभाव छोड़ देते है !
  • यदि किसी किताब से उठाकर मन्त्र जपना शुरू कर दे तो भी साबर मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते
  • साबर मन्त्र अशुद्ध होते है इनके शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता क्योंकि यह ग्रामीण भाषा में होते है यदि इन्हें शुद्ध कर दिया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है !
  • प्रदर्शन के लिए यदि इनका प्रयोग किया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है !
  • यदि केवल आजमाइश के लिए इन मंत्रो का जप किया जाये तो यह मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते !

ऐसे और भी अनेक कारण है ! उचित यही रहता है कि साबर मंत्रो को गुरुमुख से प्राप्त करे क्योंकि गुरु साक्षात शिव होते है और साबर मंत्रो के जन्मदाता स्वयं शिव है ! शिव के मुख से निकले मन्त्र असफल हो ही नहीं सकते !

यहाँ साबर मंत्रो को जगाने की एक अनुभूत विधि

साबर मंत्रो के लुप्त होने का कारण कुछ भी हो इस विधि के बाद साबर मन्त्र पूर्ण रूप से प्रभावी होते है !

|| मन्त्र ||

सत नमो आदेश ! गुरूजी को आदेश !
ॐ गुरूजी !
ड़ार शाबर बर्भर जागे ,
जागे अढैया और बराट
मेरा जगाया न जागे
तो तेरा नरक कुंड में वास !
दुहाई शाबरी माई की !
दुहाई शाबरनाथ की !
आदेश गुरु गोरख को !

विधि

इस मन्त्र को प्रतिदिन गोबर का कंडा सुलगाकर उसपर गुगल डाले और इस मन्त्र का 108 बार जाप करे ! जब तक मन्त्र जाप हो गुगल सुलगती रहनी चाहिये ! यह क्रिया आपको 21 दिन करनी है , अच्छा होगा आप यह मन्त्र अपने गुरु के मुख से ले या किसी योग्य साधक के मुख से ले ! गुरु कृपा ही सर्वोपरि है कोई भी साधना करने से पहले गुरु आज्ञा जरूर ले !

प्रयोग विधि

जब भी कोई साधना करे तो इस मन्त्र को जप से पहले ११ बार पढ़े और जप समाप्त होने पर 11 बार दोबारा पढ़े मन्त्र का प्रभाव बढ़ जायेगा ! यदि कोई मन्त्र बार बार सिद्ध करने पर भी सिद्ध न हो तो किसी भी मंगलवार या रविवार के दिन उस मन्त्र को भोजपत्र या कागज़ पर केसर में गंगाजल मिलाकर अनार की कलम से या बड के पेड़ की कलम से लिख ले ! फिर किसी लकड़ी के फट्टे पर नया लाल वस्त्र बिछाएं और उस वस्त्र पर उस भोजपत्र को स्थापित करे ! घी का दीपक जलाये , अग्नि पर गुगल सुलगाये और शाबरी देवी या माँ पार्वती का पूजन करे और इस मन्त्र को 108 बार जपे फिर जिस मन्त्र को जगाना है उसे 108 बार जपे और दोबारा फिर इसी मन्त्र का 108 बार जप करे ! लाल कपडे दो मंगवाए और एक घड़ा भी पहले से मंगवा कर रखे ! जिस लाल कपडे पर भोजपत्र स्थापित किया गया है उस लाल कपडे को घड़े के अन्दर रखे और भोजपत्र को भी घड़े के अन्दर रखे ! दुसरे लाल कपडे से भोजपत्र का मुह बांध दे और दोबारा उस कलश का पूजन करे और शाबरी माता से मन्त्र जगाने के लिए प्रार्थना करे और उस कलश को बहते पानी में बहा दे ! घर से इस कलश को बहाने के लिए ले जाते समय और पानी में कलश को बहाते समय जिस मन्त्र को जगाना है उसका जाप करते रहे ! यह क्रिया एक बार करने से ही प्रभाव देती है पर फिर भी इस क्रिया को 3 बार करना चाहिये मतलब रविवार को फिर मंगलवार को फिर दोबारा रविवार को ! भगवान् आदिनाथ और माँ शाबरी आप सबको मन्त्र सिद्धि प्रदान करे !

भूत-प्रेत बाधा हेतु

भूत-प्रेत बाधा हेतु

यह भूत प्रेत की बाधा दूर करने के लिए इस यन्त्र का प्रयोग किया जाता जो विधि के अनुसार प्रयोग किया जाना है

प्रयोग विधि

यन्त्र बनाने के बाद यन्त्र पर देशी पान गुलाब के फूल चढ़ायें तथा धूप-दीप देकर पूजा करें, फिर उसे सफेद कपड़े में लपेटकर फलीता बना लें तथा दीपक में सुगन्धित चमेली का तेल भरकर उसमें वह बत्ती डालकर मिट्टी द्वारा लीपे गए स्थान पर रखें। दीपक के सामने हिना का इत्र गुलाब के फूल तथा मिठाई को रखें। जब दीपक जल जाये तब भूत-प्रेत बाधा से ग्रस्त रोगी को अपनी निगाह टीक की लौ पर रखने के लिए कहें। इस प्रयोग से शैतानी बाधा शान्त हो जाती है।

भूत-प्रेत बाधा हेतु

After making the yantra, offer native paan roses on the machine and offer incense-lamp, then wrap it in a white cloth and make it a pod, and fill it with fragrant jasmine oil in the lamp and put that light in it and keep it in a place covered by soil. Put rose flower and sweets in front of the lamp. When the lamp burns, then ask the patient suffering from ghosts and hindrances to keep their eyes on the flame of the teak. Satanic hindrance is calmed by this use.

भूत-प्रेत का गण्डा

“ओम नमो आदेश गुरु को लड़गढ़ी सों मुहम्मद पठाण
चढया श्वेत घोड़ा श्वेत पलाण भूत बाँधि प्रेत बाँधि
चौसठ जोगिनी बाँधि अड़सठ स्थान बाँधि, बाँधि,
बाँधिरे चोखी तुरकिनी का पूत बेगि बाँधि जोतू न
बाँधे तो अपनी माता की शैया पर पांव धरे,
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।”

तांत्रिक को चाहिए वह थोड़ी मिठाई तथा दीपक को सामने रखकर लोबान की धूनी दे तथा रोगी के सिर से लेकर एड़ी तक सात रंग का डोरा नाप कर उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए उसमें 31 गाँठें लगायें। फिर उसे रोगी के गले में बाँध दे। इस गण्डे को पहनने से भूत-प्रेत का दोष दूर हो जाता है।

पीर का मन्त्र

“ओम नमो हाकान्त जुगराज फाटंत काय जिस कारण
जुगराज में तोकों ध्याया, हंकारत जुगराज आया धारत
आया सिर के फूल बखेरत आया और की चौकी उठावन्त
आया, अपनी चौकी बैठावंत आया और का मिवाड़
तोड़ता आया, आपना किवाड़ भेड़ता आया, बांधि
बाँधिकिसको बांधि, भूत को बाँधि प्रेत को बाँधि,
देव-दानव को बाँधि, उड़न्त गड़न्त योगिनी को बाँधि,
चीर-चिरणागार को बाँधि, तिरसठ कलुवा को बाँधि,
चौसठ जोगिनी को बाँधि, बावन वीर को बाँधि,
आकाश की परियों को बाँधि, डाकिनी-शाकिनी को बाँधि,
चेटक को बाँधि, छल को बाँधि, विद्र को बाँधि, द्वार
को बाँधि, हाट को बाँधि, गली को बाँधि, गिरारे को
बाँधि, किया को बाँधि, कराये को बाँधि, अपनी को बाँधि,
पराई को बाँधि, लीली को बाँधि, पीली को बाँधि,
स्याह को बाँधि, सफेद को बाँधि, लाली को बाँधि,
बाँधि-बाँधि रे गढ़ गजनी के मुहम्मदापीर चलै
तेरे संग सत्तर सौ बीर, जो बिसरि जाय तो सौ
राजा हलाल जाय, उल्टी मार, पछाड़ मार, धाड़ मार,
कजा चढ़ाय, सुड़िया हलाय, शीश खिलाय,
शब्द साँचा पिंड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।”

उपरोक्त मन्त्र को पहले सिद्ध कर लें। भूत-प्रेत बाधा ग्रस्त व्यक्ति को सामने बिठाकर 108 बार झाड़े। भोग में कच्चा मांस, कच्ची मदिरा, हिना का इत्र, गुलाब के फूल और मीठा रखें। इस प्रयोग से भूत-प्रेत बाधा शान्त होती है। इस भोग को चौराहे पर रख दें।

बला दूर करने का मन्त्र

“याहि सार सार जिन्न देय परी जबर कुफार एक खाई दसरी
गिर्द पसार बगिव मलायक असचार दायें दस्त रखे जिब्राईल,
बायें दस्त रखे मीकाईल, पीठ रखे इस्त्राफील, पेट रखे इज्राईल,
दस्त चपटसन दस्त रास्त हुसैन पेशवा मुहम्मद गिर्द बगिर्द
अली ला इलाह कोट इल्लिल्लाह की खाई हजरत अली की
चौकी बैठी मुहम्मद रसूलिल्लाह की दुहाई।”

उपरोक्त मन्त्र को 31 बार पढ़कर चारों ओर हाथ फिराकर ताली बजाने से दिशा बन्धन होता है। मसान आदि का प्रकोप होने पर इस मन्त्र से झाड़ा करने पर रोगी तुरन्त स्वस्थ होता है।

शाबर मंत्रों को जाग्रत करने की विधि

शाबर मंत्रों को जाग्रत करने की विधि

यों तो शाबर मन्त्र इस युग के मन्त्र हैं और वे सरलता से सिद्ध हो जाते हैं तदपि अनेक बार उनको सिद्ध करने का प्रयत्न करने पर भी यदि वे कार्यक्षम नहीं हो तो जागृत करने का अनुष्ठान करे। रविवार की रात में कांसी की थाली राख से साफ करके उसे सामने रखकर प्रत्येक प्रहर के प्रारम्भ में अभीष्ट मन्त्र को एक सौ आठ बार जपे। चौथे प्रहर में मन्त्र जप के पश्चात् खैर की डण्डी से हिन्दी अथवा अपनी मातृभाषा में यह कहे “हे मन्त्रदेव जाग्रत हो” और थाली को बजावे। रात-भर में चार प्रहर माने जाते हैं अपनी तरफ से अथवा किसी से पूछकर समय निर्धारित कर लें और प्रहर के प्रारम्भ में यह विधि सम्पन्न कर ले।

शाबर मंत्र साधना के पश्चात् मंत्र प्रयोग विधि

शाबर मंत्र साधना के पश्चात् आप शाबर मंत्र का प्रयोग भी ठीक वैदिक मंत्र जैसे ही कर सकते है | किन्तु कभी कभी यह स्पष्ट न होने पर कि यह शाबर मंत्र किस देव का है ऐसे में आप मंत्र को प्रयोग करते समय शुरू में 3 बार ॐ श्री परमात्मने नमः का जप करें और फिर शाबर मंत्र का उच्चारण करें और अंत में फिर से 3 बार ॐ श्री परमात्मने नमः का जप कर परमपिता परमेश्वर से अपने कार्य की पूर्णता की अरदास लगा दे |

किसी बीमारी या नजर के दोष या ऊपरी बाधा के सन्दर्भ में किसी शाबर मंत्र का प्रयोग किसी पीड़ित व्यक्ति पर उपरोत्क विधि अनुसार ही करें व उसे 3 या 7 दिन के समय अन्तराल पर 3 बार शाबर मंत्र द्वारा झाड़ा करें |

अपने ईष्ट देव पर पूर्ण विश्वास रखते हुए मंत्र का प्रयोग करें | मंत्र साधना के पश्चात् मंत्र का प्रयोग जितना अधिक निस्वार्थ भाव से दूसरों के लिए आप करेंगे, आपके द्वारा सिद्ध किये गये मन्त्रों में परिपक्वता और अधिक आने लगेगी |

नोट : शाबर मन्त्रों का प्रयोग आप किसी को हानि पहुचाने के उद्देश्य से कदापि न करें, ऐसा करने से मन्त्रों में आई परिपक्वता समाप्त होने लगती है |

रोजगार प्राप्ति का मंत्र साधना

रोजगार प्राप्ति का मंत्र साधना

जीवन के लिए उत्तम होना जरूरी है लेकिन व्यक्ति की काबिलियत होने पर भी अपने कार्य क्षेत्र में उसको योग्य पद नहीं मिल पाता है, कई प्रकार की बाधाएं आती हैं, कहीं योग्य जगह मिलती है तो वेतन नहीं मिलता । इस साधना का मुख्य उद्देश्य है कि उन्हें यथा-योग्य काम मिले जो कि भविष्य में उनकी प्रगति के लिए एक आधार स्तंभ बने । इस साधना से काम मिलने में आने वाली समस्त अड़चनें दूर होती हैं, इस साधना से नौकरी से संबंधित समस्त व्यवधान समस्या दूर होती हैं ।

रोजगार प्राप्ति का मंत्र साधना

  • इस साधना को करने की विधि
  • यह साधना सोमवार से प्रारंभ करनी होती है रात के 10:00 बजे के बाद।
  • दिशा उत्तर होती है रात्रि में स्नान करके सफेद कपड़े धारण किए जाते हैं और सिर ढका जाता है हाथ में कलावा, माथे पर तिलक लगाया जाता है, आसन लाल रहता हैं ।
  • इस साधना में किसी भी रक्षा मंत्र की कोई जरूरत नहीं होती है ।
  • सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान करके उनकी पूजा की जाती है जिनके गुरु हैं वह गुरूमंत्र की 21 जाप करें, जिनके गुरु नहीं है वह शिव जी का पूजन करके “ओम नमः शिवाय:” की एक माला जाप करें माला रुद्राक्ष पांच मुखी होगी ।
  • इस साधना से 100 पर्सेंट आपको सफलता मिल सकती है अगर यह विधि विधान से की जाती है तो।
  • इस मंत्र की पांच माला रात को 10:00 बजे के बाद 21 दिन तक करनी है संकल्प के साथ ।
  • इन साधना में रात्रि में भोजन करने से पहले थोड़ा खाने का पदार्थ गाय को खिलाना चाहिए ऐसा करने के बाद ही भोजन करें अगर यह संभव नहीं हो तो रात्रि में भोजन ना करें इस साधना को संपन्न करने के बाद माला को विसर्जित नहीं करना चाहिए तथा माला को गले में धारण रखना चाहिए।

मँत्र

।।ॐ सोमाबती भगवती बरकत देहि उत्तीर्ण
सर्व बाधा स्तंभय रोंशीणी इच्छा पूर्ति कुरु कुरु
कुरु सर्व वश्यं कुरु कुरु कुरु हूं तोशीणी नमः।।

आपकी मनोकामना पूर्ण हो इस आशा के साथ इस मंत्र का जाप बताया है, बताई हुई विधि के साथ पूर्ण करने पर आशातीत फल प्राप्त होता है इसमे कोई संदेह नहीं है ।

Voodoo Doll Hypnotism Vashikaran Mantra

Voodoo Doll Hypnotism Vashikaran Mantra

This is very very Powerful, effective and numinous Voodoo Doll Magic spells under the category of Ancient Shabar Mantra History. We take it out here only for the goodness of humanity, So please don’t misuse it.

Voodoo Doll Hypnotism Vashikaran Mantra

Baandhoo Indr ko, Baandhoo Taara
Baandho Baandhoo lohe ka aara
Uthe indr na bole baba
Such saakh dhooni ho jaye
Tan ooper fenkin, kade hoye soot
Mein to bandhan baandhyo, saas susoor jaya poot
Man baandhon, mantra baandhon vidya ke saath
Chaar khoot fir aaye Falaani Falaane ke saath |

Note – If desired person is Girl / Lady then use in last line as it is but if desired person is boy or gents then use ‘Falaana Falaani’ instead of ‘Falaani Falaane’.

How to do this Powerful Voodoo Vashikaran Magic spells

If you want hypnotize the Girl or Lady then bring the soil of her left leg on Saturday otherwise in case of boy or gents bring the soil of right leg instead of left on Saturday. Now create an doll with this soil. Now on Midnight took off your all clothes and do the worship of this doll with oil lamp. Chant this spells for 1 hour. After one hour Now tied this doll with and cotton string during the chanting the spells and put it in secret and on hide place. And just see the effect of this powerful voodoo magic power now.

वूडू गुड़िया सम्मोहन वशीकरण मंत्र

|| मंत्र||
बांधूं इंद्र को, बांधूं तार।
बांधूं बांधूं लोहे का आरा।
उठे इंद्र न बोले बाबा।
सुख साख धूनी हो जाय।
तन ऊपर फेंकी , कड़े होय सूत।
में तो बंधन बांध्यो, सांस सुसुर जाया पूत।
मन बांधूं, मंत्र बांधूं विद्या के साथ।
चार खूंट फिर आये फलानि फलाने के साथ।

Note: स्त्री को मोहित करना है तो फलानि फलाने के साथ नहीं तो पुरुष के लिए फलाना फलानि के साथ

विधि : यदि कामिनी को मोहित करना हो तो शनिवार को उसके बांये पैर के नीचे कि मिटटी और पुरुष को आकर्षित करना हो तो दायें पैर के नीचे कि मिटटी ले आओ। उस मिटटी से एक मिलती जुलती प्रतिमा बना लो। अब आधी रात को नंगे होकर ऊपर दिया गए मंत्र से पूजन और धुप दीप करो। एक घंटे तक मंत्र जप करके फिर एक कच्चे सूत से मंत्र जप करते हुए उस पुतली को बांध दें, और उसको छुपा कर रख दें। और अब चमत्कार देखें। ध्यान रहे सिद्धि पूर्ण होने तक सभी बाते गुप्त रखनी है