इस जीवन यात्रा में हम न जाने कितने शत्रु बनाते हैं, कितने मित्र बनाते हैं| सोचने की बात यह है कि इन शत्रु या मित्र को क्या सिर्फ हम चुनते हैं| मित्र चुनने की बात हो तो यह बात कही जा सकती है लेकिन शत्रु शायद हम अपनी मर्ज़ी से नहीं चुनते| वह एक परिस्थिति होती है या फिर व्यक्तित्व में अंतर, या हितों में टकराव शत्रु बन जाते हैं| मर्ज़ी से शायद कोई किसी को शत्रु नहीं बनाना चाहेगा| कई बार ऐसा भी होता है जिसे हम शत्रु समझते हैं वह वास्तव में हमारा हित चिन्तक होता है और जिसे मित्र समझते है वह पीठ में छूरा भोंकने वाला निकल जाता है| अब किसी कारणवश कोई शत्रु बन बैठा तो वह शांत नहीं बैठेगा| वह कुछ न कुछ नुकसान ज़रूर पहुंचाएगा| कई शत्रु का चेहरा हम पहचानते हैं लेकिन असल खतरा तो गुप्त शत्रुओं से होती है| हम उन्हें नहीं पहचानते और वह कौन सा वार कब कर बैठे हम कभी नहीं समझ पाते| ऐसे शत्रुओं के शमन के लिए कुछ साधको ने उपाय के बारे में सोचा| साधना किया और जनहित में कुछ लोगों को बताया| वही जनश्रुति आज हम टोटकों के रूप में जानते हैं|
शत्रु को मित्र बनाने के टोटके
यदि किसी शत्रु को पहचानते हैं और उससे आप बहुत परेशान हैं तो निम्नलिखित टोटकों को आजमा सकते है-
- एक बोटल लें|
- अब उसमें गन्ने का रस भर दें|
- अब एक कागज़ पर घर का चित्र बनाएं|
- उस चित्र को उस बोटल में डाल दें|
- अंत में ढक्कन बंद कर दें|
- इस बोटल को किसी बहते हुए पानी में जैसे नदी नाला आदि में प्रवाहित कर दें|
- ऐसा करते समय शत्रु को संबोधित करते हुए कहें कि –अब हमसे दूर हो जाओ|
- उसे धिक्कारें और लानते भेजें|
- फिर वापस घर आ जाएं|
Note: ध्यान रहे ऐसा करते हुए आपको कोई न देखे और लौटते समय पीछे मुड़कर न देखें| वह शत्रु आपको फिर नुक्सान पहुंचाने लायक नहीं बचेगा|
- एक पीले रंग का निम्बू लें|
- किसी शाम ऐसे चौराहे पर जाएं जहां कम आवा जाही हो|
- अब वही चाक़ू से नीम्बू काटे और उसे चार दिशाओं में फेंक दें|
- ऐसा करते समय उसे शत्रुता छोड़ने की विनती करें|
- अगर कोई बहुत बुरा शत्रु हो, जिसे प्राणों को ख़तरा हो, बहु बेटियों को ख़तरा हो तो किसी सुनसान जगह पर जाएं|
- वहाँ एक गहरा गड्ढा खोदें|
- उसमें साबुत उड़द के एक सौ आठ दाएं और साबुत चावल के छप्पन दाने डाल दें|
- उसके ऊपर नीम्बू निचोड़ दें| अब गड्ढा भर दें|
- इसके बाद गड्ढे के ऊपर एक कील ठोंक दें|
- ऐसा करने से आपका शत्रु मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा|
Note: स्मरण रहे दुर्भावाना से प्रेरित होकर किसी सज्जन व्यक्ति को नुक्सान पहुंचाने के मकसद से ऐसा न करें| अन्यथा की स्थिति में आपका भी नुक्सान हो सकता है| टोटके वैज्ञानिक प्रतीत नहीं होते है लेकिन इनके द्वारा प्रकृति में व्याप्त शक्तियों को ही किसी काम में लगाया जाता जो सब कुछ जानती हैं| उसे भी और आपको भी| अतएव अपने बचाव में जब कोई चारा न रहे तभी इस उपाय को करें|
शत्रु को मित्र बनाने के टोटके
हम शत्रु के साथ किस प्रकार का व्यवहार करते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम खुद कैसे हैं| कुछ लोग सिर्फ और सिर्फ बदला चाहते हैं| कुछ शत्रु को नेस्त नाबुत कर देना चाहते हैं| कुछ लोगों की तमन्ना सिर्फ इतनी है कि शत्रु उन्हे या उनके परिवार को चोट न पहुंचाए| कुछ उस शत्रु को प्रेम की दृष्टि से देखते हैं और चाहते हैं कि वह मित्र बन जाएँ| यदि शत्रु मित्र बन जाए तो इससे अच्छी बात भला क्या हो सकती है| यदि आप भी ऐसा ही कुछ चाहते हैं तो निम्लिखित उपाय को आजमा सकते है –
- पीले सरसों के तेल में हल्दी मिला दें|
- इस तेल से एक दीपक जलाएं|
- किसी पीढ़े पर बगलामुखी देवी का चित्र स्थापित करें|
- उनके समक्ष ‘ ओम बगलायै नमः’ मन्त्र का जाप करें| निरंतर एक सप्ताह 11 माला का जाप करें|
- प्रतिदिन जाप समाप्त होने के उपरान्त शत्रु को मित्र बनाने की प्रार्थना करें|
- जाप समाप्त होते होते उसकी धारणा आपके प्रति बदल जाएंगी|
- इस प्रयोग के लिए शनिवार का दिन चुनें|
- सुबह सुबह नहा धोकर किस काली मंदिर में जाएँ|
- वहाँ साष्टांग दंडवत करें|
- शत्रु को मित्र बनाने की प्रार्थना करें|
- पुनः किसी सुनसान स्थान पर जाएं|
- वहाँ अपने साथ दो नीम्बू लेकर जाएँ|
- उस निम्बू पर हरे रंग की स्याही उस स्त्री अथवा पुरुष का नाम लिख दें जो आपसे शत्रुता निभा रही हो|
- दूसरे निम्बू पर खुद का नाम लिखें|
- अब एक कोरे कागज़ पर उसी स्त्री या पुरुष का नाम 151 बार लिखें|
- अंत में दोनों निम्बुओं को उस नाम लिखे कागज़ से लपेट दें|
- ऊपर से काले कपडे बंधकर पोटली बना दें|
- इस पोटली को किसी बहते हुए पानी में बहा दें|
- अगर किसी शत्रु को हमेशा के लिए मित्र बनाना चाहते हो तो भोजपत्र लेकर उसके ऊपर कुमकुम से उसका नाम लिख दें और फिर उसे शहद की शीशी में डुबाकर ढक्कन बंद कर दें| शहद की शीशी ऐसी जगह छुपाकर रखें जहां उसकी नजर न पहुंचे|
ये तमाम टोटके तभी काम करेंगे जब आपको शत्रु की पहचान होगी| जल्दबाजी में कुछ न आजमाएं| हो सकता है जिसे आप शत्रु समझ रहे हो वह मात्र छोटी सी गलतफहमी हो जिसे बात चीत के जरिये दूर किया जा सकता है| यह भी हो सकता है कि उसे आपके प्रति कान भरा गया हो| वास्तविक शत्रु कोई और हो| किसी को चोट या नुक्सान पहुंचाना एक पापकर्म माना जाता है जिसका भुगतान भी करना होता है| इसलिए पहले वास्तविकता की जांच कर लें| ऐसा न हो ग़लतफ़हमी में आप किसी का बुरा कर बैठें|