मंगल दोष निवारण हे‍तु विवाह से पहले करें ये उपाय

मंगल दोष क्या है, मंगल दोष के लक्षण निवारण उपाय क्या है? सुरेश मांगलिक था, इस कारण से मांगलिक लड़की नीता ढूंढी गई। वधु के साथ वर पक्ष वालो ने सुख की साँस ली, हालांकि सुरेश और नीता को मांगलिक होने का अर्थ पता नहीं था। इस के ठीक विपरीत चंदा का विवाह इसलिए टूट गया क्योकि वह मांगलिक थी । ऐसे में प्रश्न उठता है कि मांगलिक होना क्या दुर्भाग्य की निशानी है? उत्तर है नहीं। अमूमन दस में से चार जोड़े मांगलिक होते है। जिस प्रकार बीमार व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है । उसी प्रकार ग्रह और नक्षत्रों की समस्या के लिए निवारण केवल ज्योतिषी दे सकते है।

आजकल की पीड़ी को किसी बात को मानने के लिए वैजानिक आधार की आवश्यकता होती है। ज्योतिष एक विज्ञान है, जिसे सदियों से सिखाया जा रहा है। जंतर -मंतर आज भी ज्योतिष विज्ञान का प्रतीक है। खगोलीय ज्ञान के लिए भारत में आज भी प्रसिद्ध है, लाभान्वित कर रहा है।

मंगल दोष के लक्षण निवारण उपाय

  • भारतीय ज्योतिषों की कुंडली दो प्रकार की गणना पर आधरित होती है , सूर्य और चंद्र। ज्योतिष अंक गणित एक से नौ तथा का प्रतिनिधित्व करता है । एक सूर्य का दो चंद्र का तथा नौ मंगल का नंबर माना जाता है । भारतीय ज्योतिष में राहु और केतु को आठवां और नवा ग्रह माना गया है।
  • जातक कुंडली में चन्द्र और सूर्य गणना के आधार पर प्रथम, द्वितीय,चतुर्थ सप्तम अष्टम तथा बारहवें स्थान पर मंगल होने से “मांगलिक दोष” की कुंडली कही जाती है। दोष का अर्थ होता है जातक के स्वभाव में क्रोध,ज़िद्द, शासन करने की प्रवृति पाई जाती है ।
  • वैजानिक दृष्टि से देखा जाए तो ऊर्जा का प्रवाह हमारे चारों ओर रहता है । हमारे जन्म के समय खगोलीय अवस्था से लेकर ग्रह हमारे आस -पास के वातावरण पर प्रभाव डालते है । इस प्रभाव के कारण हमारा प्राकृतिक व्यवहार निर्धारित होता है ।
  • ज्योतिष के अनुसार हमारे ग्रह जन्म लगन के अनुसार आचरण करते है । जो अच्छा और बुरा परिणाम दे सकते है। मंगल शुभ का कारक होता है।

मांगलिक कुंडली के लक्षण

  • जातक की कुंडली में, प्रथम भाव में मंगल शनि हो। ऐसे में राहु श्रीण चन्द्रमा के साथ हो। इसके साथ ही, शत्रु राशि कुंभ , मकर में हो । इस प्रकार की कुंडली मांगलिक दोष युक्त कही जाती है।
  • ज्योतिषियों के अनुसार विवाह मैं अड़चन आती है व् विवाह देर से होता है। यदि मंगल चतुर्थ भाव में हो तो जातक का विवाह शीध्र होता है। विवाह शीध्र तो होता है पर ग्रहस्थी में क्लेश और दुख बना रहता है । भूमि, भवन निर्माण संबंधी मामलों में उलझन होती है। घर के बड़े बूढ़ों से अनबन होती है।
  • मांगलिक दोष विवाह में व्यवधान डालता है। सप्तम भाव में मंगल हो तो विवाह में बाधा व् कठिनाइयाँ विवाह के उपरांत भी बनी रहती है।
  • इसी प्रकार अष्टम भाव में मंगल हो तो जातक के कुसंगति में पड़ने के योग बनते है|
  • ज्योतिष के अनुसार मंगल के अष्टम भाव में होने के कारण जीवन- साथी की मृत्य के साथ ज के योग होते है। मांगलिक दोष केवल एक। ग्रह दशा है जिसका निवारण सम्भव है।
  • बारहवें स्थान पर यदि मंगल हो तो जातक के विवाह उपरांत खर्च बढ़ जाते है , पारिवारिक संतुलन बिगड़ जाता है।

इन सब लक्षणों के होने पर भी यदि चंद्रमा केंद्र में है तो कुंडली मांगलिक दोष मुक्त होती है। मंगल शुभ का प्रतीक है। मंगल की स्थिति से रोज़ी – रोटी कारोबार की सफलता से जुडी है।मंगल अगर शनि जैसे ग्रह के साथ है तब ही अनिष्टकारी लगता है।जीवन में समस्या है तो निवारण भी है। प्रश्न है तो समाधान भी है। यही कारण है की भारतीय ज्योतिष केवल कुंडली से भविष्य दर्शन नहीं कराती वरन समाधान भी देती है।

मंगल दोष निवारण उपाय

  • विष को विष मरता है , किसी औषधि का प्रतिरोधक उसी बीमारी के जीवाणु से बनते है। इसी बात को ध्यान में अगर हम रखे तो मांगलिक से मांगलिक जातक का विवाह होना मंगल दोष का निवारण ही हैजिस कन्या की कुंडली में मंगल १,२, ४, ७, ८, १२ स्थान पर हो उसका विवाह ऐसे जातक के साथ करवाना चाहिए , जिसकी कुंडली में मंगल की सामान भाव की कुंडली में शनि बैठा हो।
  • मांगलिक दोष होने पर वधु पक्ष लड़की का पूर्व विवाह पीपल के साथ करता है। इसके अतिरिक्त शालिग्राम को पूजने और उस से सांकेतिक विवाह की रीत है।इसके अलावा शादी का मूल मन्त्र है, संयम जो किसी भी विवाह में काम आता है ।
  • लाल किताब के अनुसार ग्रहों के प्रभाव को प्रतिकूल बनाने के लिए, हिंदु घरों में पूजा अर्चना से मांगलिक दोष का निवारण बताया गया है। भगवान गणेश की पूजा और मंगल ग्रह का जप करने से दोष का सरल निवारण संभव है,मन्त्र “ॐ हिं णमो सिद्धाणं “II हज़ार बार के जाप से होता है इसके लिए पूजन व्यवस्था मंदिरों में होती है।
  • मंगल ग्रह का रंग लाल होता है इस कारण से लाल किताब में मांगलिक दोष के जातकों को लाल रंग का रुमाल रखना चाहिए।
  • मांगलिक दोष होने पर लाल किताब में वट- वृक्ष पर मीठा दूध चढ़ाने के बारे में बताया गया है।
  • इसके अलावा अपने पास चांदी रखे और चिड़ियों को दाना डाले।
  • पंचम भाव में यदि मंगल हो तो सर के पास पानी रख कर सोए। सुबह उठ कर वही पानी किसी पेड़ में डाले। पिता के नाम पे दूध का दान दे और पराई स्त्री से सम्बन्ध बनाने से बचे।
  • मंगल यदि छठे भाग में हो तो पिता और पुत्र को सोना धारण नहीं करना चाहिए।
  • लाल किताब के प्रयोगों को केवल अपनी कुंडली मिलान कर के ही करना चाहिए।
  • इस के अतिरिक्त अगर किसी कन्या का विवाह ऐसे व्यक्ति से निश्चित हो जाता है जो मांगलिक ना हो तब क्या करना चाहिए।
  • ज्योतिष बताते है ऐसे में हनुमान पूजा सहायक सिद्ध होती है। चाहे स्त्री हो या पुरुष लाल सिंदूर रख कर हनुमान जी का वर्त रख सकते है।
  • विवाह के उपरांत अगर जातक को पता चले कि वो मांगलिक दोष से पीड़ित है तो मन को
  • अशांत ना रखे। मंगल ग्रह लाल रंग कि और आकर्षित होता है इस कारण से रक्त पुष्प.रक्त चन्दन,लाल कपड़े में लाल मसूर दाल, मिष्ठान द्रव्य को साथ बांध कर नदी में बहा देना चाहिए।

कहना ना होगा सम्बन्ध मुश्किल से जन्मो के प्रयत्न से बनते है। मांगलिक दोष का निवारण लड़के और लड़की को ही नहीं घर वालों को भी रिश्ता बनाने में सहयोग देना चाहिए।

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